परिवार के साथ रिश्ते को कैसे मज़बूत बनाये
भले ही समय बदल गया हो और एकल परिवारों की संख्या दिनोदिन बढ़ रही हो किन्तु इस बात से नाकारा नहीं जा सकता कि परिवार कि जरुरत पहले भी थी और आज भी है। परिवार को परिवार कि तरह बनाये रखना आज कल कितना कठिन हो गया है ये किसी से छिपा नहीं है।
परिवार को कैसे बचाये? परिवार में खुशियां कैसे लाएं, माता-पिता के साथ संबंध कैसे सुधारें, सबसे बड़ी बात परिवार के साथ रिश्ते को कैसे मज़बूत बनाये सीखना है तो जान लीजिये इस एक गुण को :-
चैतन्या अपने माता पिता की एकलौती संतान थी बड़े ही प्यार दुलार से पाली गयी थी। समय आने पर उसकी शादी हुयी और वो अपने ससुराल आ पहुंची, सयोंग से उसके ससुराल में भी मात्र वो,उसका पति और उसकी सास थीं।
कुछ दिनों तक सब ठीक चला पर महीना बीतते -बीतते चैतन्या और उसकी सास में खटपट होने लगी .
दिन - महीने बीतते गए , पर सास -बहू के समबन्ध सुधरने की बजाय और भी बिगड़ते गए . और हालात यहाँ तक आ गए कि चैतन्या और उसकी सास के बीच मार पीट कि नौबत आ पहुंची l गुस्से में चैतन्या अपने मायके चली गयी और उसने निश्चय किया कि वो किसी भी तरह अपनी सास से बदला लेकर रहेगी,और इसी विचार के साथ वो गाँव के एक वैद्य के पास पहुंची .
“ वैद्य जी , मैं अपनी सास से बहुत परेशान हूँ , मेरा किया कुछ भी उसे अच्छा नहीं लगता , हर काम में कमीं निकालना और ताने मारना उसका स्वभाव है …मुझे किसी भी तरह उससे छुटकारा दिला दीजिये बस ….” , उसने क्रोध में अपनी बात कही .
वैद्य बोले , “बेटी , चूँकि तुम्हारे पिताजी मेरे अच्छे मित्र हैं , इसलिए मैं तुम्हारी मदद ज़रूर करूँगा , पर तुम्हे एक बात का ध्यान रखना होगा , मैं जैसा कहूँ ठीक वैसा ही करना, वर्ना मुसीबत में फंस जाओगी “
” मैं बिलकुल वैसा ही करुँगी। “ .
वैद्य अन्दर गए और कुछ देर बाद जड़ी -बूटियों का एक डिब्बा लेकर वापस आये , और उस को थमाते हुए बोले – तुम अपनी सास को मारने के लिए किसी तेज ज़हर का प्रयोग नहीं कर सकती , क्योंकि उससे तुम पकड़ी जाओगी …य़े डिब्बा लो , इसके अन्दर कुछ दुर्लभ जड़ी -बूटियाँ हैं जो धीरे -धीरे इंसान के अन्दर ज़हर पैदा कर देती हैं और 7-8 महीने में इसे खाने वाले की मौत हो जाती है …अब हर रोज तुम अपनी सास के लिए कुछ पकवान बनाना और चुपके से इन्हें उस खाने में मिला देना , और ध्यान रहे इस बीच तुम्हे अपनी सास से अच्छी तरह से पेश आना होगा , उनकी बात माननी होगी , ताकि मौत के बाद किसी का शक तुम पर ना जाये …ज़ाओ अब अपने ससुराल वापस जाओ और अपनी सास के साथ अच्छे से अच्छा व्यवहार करो …”
चैतन्या ख़ुशी -ख़ुशी जड़ी -बूटियाँ लेकर ससुराल वापस लौट गयी . अब उसका व्यवहार बिलकुल बदल चुका था , अब वो अपने सास की बात मानने लगी थी , और आये दिन उनके लिए स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाने लगी थी . और जब कभी उसे गुस्सा आता तो वैद्य जी की बात ध्यान में रखकर कर वो अपने गुस्से पर काबू कर लेती। 6 महीने बीतते -बीतते घर का माहौल बिलकुल बदल चुका था . जो सास पहले बहु की बुराई करते नहीं थकती थी वही अब घर -घर घूम कर उसकी तारीफ़ करते नहीं थकती थीं . चैतन्य भी अभिनय करते – करते अब सचमुच बदल चुकी थी , उसे अपनी सास में अपनी माँ नज़र आने लगी थीं .
उस को अब अपनी सास की मौत का भय सताने लगा और एक दिन वो किसी बहाने से मायके के लिए निकली और सीधे वैद्य जी के पास पहुंची .
” वैद्य जी , कृपया मेरी मदद करिए , मैं अब अपनी सास को नहीं मारना चाहती , वो तो एकदम बदल गयी हैं , और मुझे बहुत प्यार करने लगी हैं , मैं भी उन्हें उतना ही मानने लगी हूँ …कुछ भी कर के उस ज़हर का असर ख़त्म कर दीजिये ….” , वो रोते हुए बोली .
वैद्य बोले , ” बेटी , चिंता करने की कोई ज़रुरत नहीं है , दरअसल मैंने तुम्हे कभी ज़हर दिया ही नहीं था , उस डिब्बे में तो बस स्वास्थ्य – वर्धक जड़ी -बूटियाँ थीं . ज़हर तो तुम्हारे दिमाग और नज़रिए में था , लेकिन मैं खुश हूँ कि तुमने अपनी सास की जो सेवा की और उन्हें जो प्रेम दिया उससे वो भी ख़त्म हो गया …, जाओ अब खुशहाली से अपने सास और पति के साथ जीवन व्यतीत करो .
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोये।औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए।।
कहने का मतलब ये हैं कि ऐसी भाषा बोलिये कि सुनने वाले को भी अच्छा लगे और आपको भी आनंद आये, ऐसी ही मीठी वाणी के उपयोग से हम किसी भी व्यक्ति को उसके प्रति हमारे प्यार और आदर का एहसास करा सकते है और आदर हम भी पाना चाहते है और सामने वाला भी।
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